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सरसों और पलाश ने, भेजा
है संदेश
रंग पर्व है आ रहा, रंगीं सबके वेश
धरती नभ रंगीं हुए, उड़े अबीर गुलाल
आओ सब मिल खेल लें, रंग दें सबके भाल
इंद्रधनुष में मिल रहे, जैसे सारे रंग
भेदभाव को त्याग कर, मिल के खेलें संग
बूढ़े बच्चे या जवां, नर नारी उल्लास
रंग पर्व ऐसा नशा, हो न कोई उदास
खट्टे मीठे चटपटे, विविध स्वाद पकवान
गुझिया ठंडाई सहित, हो स्वागत सम्मान
रंग पुते सब चेहरे, कैसे हो पहचान
होली का जादू यही, सबको अपना मान
भक्ति भाव, रोमांस का, अद्भुत हुआ मिलाप
नाचें डफली ताल पर, फाग राग आलाप
- ज्योतिर्मयी पंत
१ मार्च २०२३ |