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           होली पे

होली पे हो गया है ये कैसा कमाल रे
उजली हथेलियाँ हैं व रंगीन गाल रे
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किसने सिखा दिया है ये भोली हवाओं को
भर-भर के मुझ पे रंग वो फेंकें हैं लाल रे
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उसने चढ़ाई भाँग है लगता तो है यही
छुप-छुप के चुनरियाँ सभी चूमें गुलाल रे
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जीवन के आसमां में धनक के सभी हैं रंग
खुशियाँ अगर ध्वजा हैं तो दुख भी मशाल रे
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जब हो उदास चंग व घूमर के पाँव पीर
होली में 'रीत' कौन मचाए धमाल रे
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- परमजीत कौर 'रीत'
१ मार्च २०२३

   

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