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फगुनी आई

तुलसी कोने में मुस्काई
जब से घर में 'फगुनी' आई

धनियें की ख़ुशबू लपेटकर
सिलबट्टा अब महक उठा है
'छुनुआ' टटिया से निहारकर
भौजी कह के चहक उठा है

होली के रंगो में डूबी
'फगुनी' आँगन में लहराई

गौरेया कूदी डालों पर
पाकड़ के पत्ते हरषाने
खींच ढुलकिया ली बब्बा ने
चले गाँव में होरी गाने

'फगुनी' ने फिल्मी गानों की
अपनी कैसेट इधर चलाई

साँझ ढले कुछ सोच रही, तब
मोबाइल का तन झन्नाया
'बैठ लिए हैं हम दिल्ली से'
स्पीकर ने ये वाक्य सुनाया

सरसों जैसी लहक उठी है
मुकुर देख 'फगुनी' फगुआई

- विवेक आस्तिक
१ मार्च २०२०

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