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फूले फूल पलाश के

नदी किनारे भोर भुरहारे
फूले फूल पलाश के

बैठ नीम की डाल
द्वार पर कोयल बोल गई
भीनी भीनी गंध हवा में
पुरवा घोल गई
कुसुम कली ने लिख भेजी है
पाती नाम जवास के

साँझ हुई तो सोनजुही फिर
झर झरती है
गालों में गुलाल आँखों में
काजल भरती है
नैनो ने कुछ नए कथानक
रचे फागुनी प्यास के

सावधान आ रही उर्वशी
आकर वाम हुई
सुनो पुरुरवा एक जिंदगी
तेरे नाम हुई
इंद्रलोक ने तोड़े बंधन
पृष्ठ रचे इतिहास के

- शिवचरण चौहान
१ मार्च २०२०

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