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आई है होली

इंद्रधनुषी रंग सजाओ
आई है होली
ढोलक चंग मृदंग बजाओ
आई है होली

नफरत की कालिख को अपने
मन से साफ करो
प्रेम प्यार घट घट में घोलो
सबको माफ करो
रूठे रिश्तेदार मनाओ
आई है होली
ढोलक चंग मृदंग बजाओ
आई है होली

मतवारी हो चलीं हवाएँ
फागुन इठलाये
डाल-डाल अमुआ बौराये
टेसू शरमाये
रंग अबीर गुलाल उड़ाओ
आई है होली
ढोलक चंग मृदंग बजाओ
आई है होली

रंगों से भीगी है धरती
अम्बर झाँक रहा
पिचकारी से रंग बिरंगे
मोती टाँक रहा
धूम मचाओ फाग सुनाओ
आई है होली
ढोलक चंग मृदंग बजाओ
आई है होली

मौसम ने भी भाँग चढ़ाई
पीकर ठंडाई
फूलों पर है चढ़ी खुमारी
ऐसी ऋतु आई
फागुन के रँग सब रँग जाओ
आई है होली
ढोलक चंग मृदंग बजाओ
आई है होली

बच्चे बूढ़े सब पर होली
की मस्ती छाई
गेहूँ की भी पकी फसल
खेतों में लहराई
लड्डू बर्फी गुझिया खाओ
आई है होली
ढोलक चंग मृदंग बजाओ
आई है होली

- रमा प्रवीर वर्मा
१ मार्च २०२०

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