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होली का त्यौहार मनाएँ

फैली जो कालिख मन-मन में
चलो खुरचकर उसे छुड़ायें
प्रेम रंग से सबको रंगकर
होली का त्योहार मनायें

रंग लाल सेमल-पलाश से
पीला सरसों, अमलताश से
हरा रंग नव-बेलों से ले
अम्बर के नीले प्रकाश से
श्याम-श्वेत सारे गालों को
एक रंग का आज बनायें

जिसमें कृष्ण-राम मिलते हों
नानक-बुद्ध जहाँ बसते हों
हो अजान का स्वर भी शामिल
सुन जिसको यीशू हँसते हों
ऐसे लोकगीत की धुन पर
ढोल बजाकर नाचें गायें

आपस के सब भेद भुलाकर
घावों पर मृदुलेप लगाकर
समरसता का इत्र घोल दें
प्रेम-पुष्प से देश सजाकर
मालपुआ, गुझियाँ, लड्डू की
हम मिठास मन तक पहुँचायें

- गरिमा सक्सेना
१ मार्च २०२०

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