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होली- परिभाषा

प्रीत का वह पक्का रंग
जो जितना छुड़ाओ
गहरा होता जाता है

ख़ुशी का वह पर्व
जहाँ बरसों पुराने शिकवे भूल
दोस्त फिर यार बन जाता है

वह तिलिस्म
जो बैर का अँधेरा मिटा
प्यार की रौशनी छवाता है

वह एहसास
की हम तनहा नहीं
सिर्फ मुट्ठी भर रंग की दूरी है

वह ख़ुशी
जो मन पर जमी काई हटा
ठहरे एहसासों में रवानी भर देती है

- सरस दरबारी
१ मार्च २०२०

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