|
|
कोरोना होली
: दोहे |
|
जब कोरोना वायरस, रहा जगत
में फैल।
कैसे मिलकर हम गले, मन का धोएँ मैल।।
रंगों की बौछार थी, था गुलाल का साथ।
भय के मारे अब सभी, नहीं मिलाते हाथ।।
होली के त्योहार पर, रिश्ते चकनाचूर।
जो भी जितने पास थे, उतने हैं अब दूर।।
हाथ जोड़ना दूर से, उत्तम है ये रीत।
संस्कार भी निभ सके, बनी रहेगी प्रीत।।
फाग मिलन का पर्व है, अब डरते हैं लोग।
भीड़ भडक्कों में कहीं, लग ना जाये रोग।।
चीनी चीजें बिक रहीं, रंग अबीर गुलाल।
लेकिन यह भय व्याप्त है, रोग न लें हम पाल।।
सावधान रह कर सभी, इसका करो इलाज।
लापरवाही में कहीं, बिगड़ न जाये आज।।
- शरद तैलंग
१ मार्च २०२० |
|
|
|