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   सुगन्धों का मौसम

लहराते आँचल और सुगन्धों का मौसम
मन से मन के मोहक अनुबंधों का मौसम

क्यों भंग बनी हर एक दिशा चढ़ रही बहुत
चूनर के संग देख पवन की छेड़ छाड़ बढ़ रही बहुत
राधा की पायल के दिन हैं
मोहन के कंधों का मौसम

रंगों की भाषा बोल रहा है पात -पात
सिहरन के मांसल मन्त्र बाँचता गात-गात
होली, बोली, ठिठोलियाँ हैं
टूटे प्रतिबंधों का मौसम

मस्ती में झूमे ताल पवन इतरानी है
पोखर ने पीली भंग बहुत मस्तानी है
रंग और अबीरों के दिन हैं
जुड़ते सम्बन्धों का मौसम

वृक्षों से लिपट रहीं बेलें हँसते -हँसते
इतराती जीभ दिखा गोपी फँसते-फँसते
ढा रहे गजब इनके तेवर
मस्ती में अन्धों का मौसम

पिचकारी ने रंग के कपोल को है चूमा
पीली सरसों का रस पीकर पलाश झूमा
बूढ़े देवर युवती भौजी
इन गोरखधन्धों का मौसम

पग-पग पर 'गीत गोविंद' रचे ऊषा-बेला
गो धूली बिखराती 'सतसैयों' का मेला
मीठी मनुहारों की रातें
कसते भुजबन्धों का मौसम

- यायावर
१ मार्च २०१९

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