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   आ रहे हैं खेलने होली

रंग टेसू के बिलखते हैं यहाँ पर
खेलने जब से लगे तुम
खून की होली

नीम तीता हो गया मीठा कुआँ
घाटियों से उठ रहा काला धुआँ
हम तुम्हें बच्चा समझ पुचकारते हैं
तुम खिलौनों में भरो
बारूद की गोली

उस पड़ोसी चचा के घर में घुसे हो
बच नहीं सकते जहन्नुम में फँसे हो
लाल गहरे रंग से रँगने तुम्हें
आ रही है वहाँ पर
यमराज की टोली

दे चुके मौक़ा न अब देंगे तुम्हें
होलिका में झोंक हम देंगे तुम्हें
भस्म कर देंगे वहीं पर आग में
सब खिलौने और तेरे
चचा की खोली

- प्रदीप शुक्ला
.
१ मार्च २०१९

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