सब गिले
शिकवे मिटे इस बार फागुन में
स्वप्न भी होंगे सभी साकार फागुन में
हर तरफ बिखरे दिखेंगे रंग सतरंगी
बाग़ भी सारे रहें गुलज़ार फागुन में
प्रीत के कलियाँ खिलेंगी और महक होगी
दिल से जुड़ जायेंगे दिल के तार फागुन में
ढप बजाओ फाग गाओ झूमकर लेकिन
साथ पायल की भी हो झंकार फागुन में
भांग की ठंडाई पीना खूब मन भरकर
पर मिठाई की भी हो भरमार फागुन में
नफरतों की आँधियों को मत जगह देना
रंग में भरकर उडाओ प्यार फागुन में
डोर रिश्तों की बहुत नाज़ुक सी होती है
भूलकर भी हो नहीं तकरार फागुन में
रूठना हँसना मनाना रीत होली की
प्यार से करना सदा मनुहार फागुन में
साफ़ कर लेंगे अगर दिल भूलकर नफरत
तब सफल होंगे रमा त्यौहार फागुन में
- रमा प्रवीर वर्मा
१ मार्च २०१८ |