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अपनी होली |
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रंगों का त्यौहार मनाओ
नाचो गाओ होली है।
चिंता नहीं, जेब है खाली
रंग, गुलाल है, रोली है।
चिंता नहीं मुझे बीवी के
गहने कैसे बनवाऊँ?
चिंता नहीं मुझे बच्चों के
कपड़े कैसे सिलवाऊँ?
मुझे नहीं चिंता घर कैसे
रँगरोगन मैं करवाऊँ?
मुझे नहीं चिंता घर कैसे
रौशनी से मैं नहलाऊँ?
प्यार के महमह रंगों से ही
मेरी सजी रँगोली है।
गुझियाँ मेरी पडीं प्लेट में
आज नहीं सकुचायेंगी।
आज पपड़ियाँ मेरी देखो
तनिक नहीं शरमायेंगी।
भले नहीं महँगा गुलाल है
षडरस व्यंजन थाल नहीं।
ऐसा है त्यौहार सुनो ये
मन में ज़रा मलाल नहीं।
खुशी आज तो और किसी से
मेरी नहीं मँझोली है।
बात करूँ मैं रंगों की
अपने टेसू से ले लूँगा।
मस्ती की भंग थोड़ी-थोड़ी
बाँट सभी को दे दूँगा।
जूने कपड़ों में भी खुश हो
मैं त्यौहार मनाऊँगा।
प्यारी सजनी को जी भर मैं
रंगों से ही सजाऊँगा।
चाह ज़रा-सी मेरी है, यह
आस बड़ी ही भोली है।
- सीमाहरि शर्मा
१ मार्च २०१७ |
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