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तन रंग दे आ मन रंग दे

तन रंग दे, आ मन रंग दे तू
कर हर गीला अंग!
देख तेरी पिचकारी में अब
बचे न कोई रंग!

जिसे भिगोयें, वो घबराये
हो हक्का बक्का
टेसू के फूलों का भइया
रंग बहुत पक्का

गोरी चूनर भी शर्मा कर
रह जायेगी दंग!

भइया करें ठिठोली, भौजी
ऊपर से घबराये
मन में उठे उमंग, सजन
रंग बरसे- गले लगाये

अंग अंग में हूक उठे इक
मचले एक तरंग!

ज्यों ज्यों उड़े अबीर, हुलस के
तड़पे मन की प्यास
कोई हँसे, भीगे ही जाये
बिन रंग कोई उदास

बृज में लट्ठमार की होली
खूब घुटेगी भंग!

- कृष्ण भारतीय
१ मार्च २०१७

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