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आया नवल वसंत

आया नवल बसंत सखी री
संग अपने फाग ये लाये.

चिलमन हटा सूर्य अब झाँके
प्रकृति करे तैयारी आके
सरसों पीला रंग घोलती
टेसू रंग कलश भर लाये

कलियाँ खिल खिल कुञ्ज कुञ्ज में
कोयल कूक रही उपवन में
संगत भँवरे गुंजन देते
तितली अलबेली इतराये

बगिया रंगों की हाट सजी
सौरभ मकरंद सुगंध लिये
नव पल्लव करताल बजाते
फूलों ने मधुघट छलकाये

आओ मिल सब खेलें होली
नाचें गायें करें ठिठोली
बीती भूलें नव उमंग से
तन मन भीगे रंग लगजाये

- ज्योतिर्मयी पन्त
१ मार्च २०१७

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