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अबकी फागुन में

अबकी फागुन में
खिल उठे हैं
टेसू के
ढेर सारे फूल
नीम का पेड़ भी
भर गया है
कोमल कोपलों से
और बरसों बाद
बौर आया है
आम में।
बूढ़ी आँखों में भी
उमगने लगा है
बसंती रंग।
आयी है चिट्ठी
अबकी आयेगा बेटा
मनायेगा होली
गाँव में।
बूढ़े हाथ तोड़ रहे हैं
टेसू के फूल
अबकी वे भी
खेलेंगे होली
टेसू के रंग से

- उर्मिला शुक्ल
१ मार्च २०१७

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