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बरसे कहीं गुलाल

१-
डंडा-रोपण साथ ही, शुरू हुआ हुड़दंग
हुरिहारों की टोलियाँ, गातीं फाग उमंग
गातीं फाग उमंग, लगा खुशियों की रोली
संग चंग की थाप, नाचती घूमर-टोली
होली के दिन पास, जोश अब पड़े न ठंडा
बरसे कहीं गुलाल, कहीं पे बरसे डंडा
२-
घेवर-गुझिया-भाँग औ', ठंडाई की लोच
अच्छे दिन अब आ गये, इतराएँ, यह सोच
इतराएँ, यह सोच, फागुनी बेला आई
घर-घर में अब पूछ, बढ़ेगी अपनी, भाई
मावे-सा मन 'रीत', मधुरता अपना जेवर
अब है अपना काल, बोलते गुझिया-घेवर
३-
सारा अंबर हो गया, इंद्रधनुष के रंग
उड़ते हुए गुलाल से, आई मधुर तरंग
आई मधुर तरंग, गीत गाती पिचकारी
पी मस्ती की भाँग, झूमते सब नर-नारी
छाया नेह व रंग, वैर का कुनबा हारा
सात रंग को पींग, झुलाए अंबर सारा

- परमजीत कौर 'रीत'
१ मार्च २०१७

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