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रंग छाया फागुनी

हर दिशा में रंग छाया फागुनी
डालियों पर टेसू दहका फागुनी

डोले पीकर पीत मदिरा फागुनी
है कली भँवरे का रिश्ता फागुनी

है गुलाबी आज मनवा फागुनी
फागुनी है श्याम राधा फागुनी

इक नज़र भर देखते ही यह हुआ
भर गया नस-नस में नश्शा फागुनी

छेड़ती है ओढ़नी को बार-बार
इन हवाओं का है लहजा फागुनी

मीठे सुर में गा रही कोयल सुनो
अम्बुआ पे बैठ किस्सा फागुनी

- अनिता मण्डा
१ मार्च २०१७

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