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रंगों का त्यौहार |
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महके वन उपवन चमन, खिलने लगी
उमंग
रोम रोम खिलने लगा, पवन बसंती संग
पीला स्वर्णिम रथ लिए, आया है ऋतुराज
दुल्हन सी धरती सजी, ये बसंत का राज
फागुन लेकर आ गया, रंगों का त्यौहार
लाल गुलाबी फूल ज्यों, धरती का श्रृंगार
सबके अंतस में बही, स्नेह प्रेम की गंग
प्रीत नशे में चूर सब, बिन मदिरा बिन भंग
देता इक संदेस भी, होली का हुड़दंग
भेदभाव सब भूलकर, रँगें सभी इक रंग
- निशा कोठारी
१५ मार्च २०१६ |
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