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देख बहारें रंगों की |
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मौजी हुड़दंग मचाते हों, तब
देख बहारें रंगों की
जब मिलकर रंग थिरकते हों, तब देख बहारें रंगों की
जब ढोलक और मंजीरों के संग मस्तानों की टोली हो
वो झूम के फगुआ गाते हों, तब देख बहारें रंगों की
गोरी का प्रेम अबीरी जब सिन्दूरी होना चाहे है
तन मन से रंग बरसते हों, तब देख बहारें रंगों की
जब भंग घुला हो मौसम में औ' अलसाए मादक दिन हों
आँखों से जाम छलकते हों, तब देख बहारें रंगों की
ये लाल गुलाबी पीला जब केसरिया मन होना चाहे
बालम परदेश से आते हों, तब देख बहारें रंगों की
- संजू शब्दिता
१५ मार्च २०१६ |
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