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रंगों का त्यौहार

खुशियाँ मिलीं, गले मिले हैं, प्यार देखिये
रंगों का फिर से आ गया त्योहार देखिये

आवाज दे रहे हैं स्वर में गीत फागुनी
ढोलक की थाप, झाँझ की झंकार देखिये

ढेरों खुशी लुटा रहे उपहार की तरह
सम्बन्ध पर भी रंग का उपकार देखिये

मिलकर के रंग-रंग से ऐसा गजब किया
बैठा हुआ हूँ किस कदर लाचार देखिये

मतभेद भूलकर सभी आपस में मिल रहे
गिरने लगी है द्वेष की दीवार देखिये

नफरत, विरोध, साजिशें, तकरार छोड़कर
कैसे बढ़े विकास की रफ़्तार देखिये

सहमी हुई सद्भावना, नफरत की चोट से
घायल हुई है रोज़ का अख़बार देखिये

जमकर लगा रहा है इक तूफ़ान कहकहा
छूटे न हाथ से कहीं पतवार देखिये

- कृष्ण कुमार तिवारी
१५ मार्च २०१६

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