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होली है!!
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होली का रंग चढ़ गया |
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पाकेट में अपनी ठूँस कर,
रखता गुलाल है।
हाथों में पक्का रंग भी, काला या लाल है।
बाइक की वास्केट में, रंगों की पोटली,
होली के रण में चल दिया, दल विशाल है।
लड़का कड़क जवान, और बूढ़े में भेद क्या,
रंग पोतने हसीन से, रुख का सवाल है?
चेहरा रंगा हुआ है, पहचान हो तो क्या,
होली के रंग-ए-तूर में, सबका ये हाल है।
जोश-ओ-खरोश देखिये, बूढों में खास तौर,
पीकर के चार पैग, हर बूढ़ा कमाल है।
नस्ल -ए- जवां को दे रहे, बूढ़े चुनौतियाँ,
इस शर्बत-ए-दंगई में, कितना जलाल है।
होली का रंग चढ़ गया, हर खासो आम पर,
एक 'राज' बाकी रह गया, जो साठ साल है।
राज सक्सेना
१७ मार्च २०१४ |
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