|
|
होली है!!
|
|
फगुनाया मधुमास |
|
|
शीत समेटे शाल दुशाले,
फगुनाया मधुमास रेशमी
चित्र हुए खुशरंग प्रकृति के, रंग गए
अहसास रेशमी
सम्बोधन रह गए
अबोले, तरसे बरसे नैन हमारे
तुमसे इक अनजाना रिश्ता, जाने तुम हो कौन हमारे
नज़र करूँ कोई नज़राना, पर सर्वस्व तुम्हे दे डाला
टँगी पंथ में सूनी पलकें, आतुर तेरी बाट निहारे
जनम जनम के सम्बन्धों में अटल हुआ
विश्वास रेशमी
प्रीत इबादत,
प्रीत आरती, प्रियतम एक सलोनी मूरत
मन्दिर मेरी कंचन काया, घर गलियारे पावन तीरथ
अनहद नाद निरन्तर बजता रहता मन के वृन्दावन में
भावों का अनुवाद किया तो, शब्द
तुम्हारी कहते कीरत
मधुबन में रम गई राधिका कान्हा के
संग रास रेशमी
जीवन की बगिया
में मौसम, जब जब भी पतझड़ का आया
झंझावातों में नैया थी, तुमने सागर पार लगाया
व्रत उपवासों की मन्नत में, हरवम साथ तुम्हारा मांगा
प्रखर किरण के सूरज तुम मै, सूर्यमुखी की श्यामल छाया
राघव साथ सिया को भाए, बीहड़ का
वनवास रेशमी
-मुन्नी शर्मा
१७ मार्च २०१४ |
|
|
|