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होली है!!


रंग होली के


रंग होली के निमन्त्रण दे रहे है
एक होने का सुमन्त्रण दे रहे हैं

दिल का हर कोना
सुवासित आज कर लो
प्रेमरंग अन्तस कलश में
आज भर लो
हृदय पट को खोल कर के आज सुन लो
प्यार की आवाज तृण तृण दे रहे हैं

प्यार की दस्तक से
दिल के द्वार खोले
आज होली में
किसी का कोई होले
फागुनी मदमस्त मौसम को मदन जी
गुल खिलाने का निमन्त्रण दे रहे हैं

सब सुनें रंगों की
प्रेरक ये सुभाषा
बस परस्पर
एक होने की जिज्ञासा
मूक औ बेजान हैं फिर भी तो देखो
हम सभी के हाथ दर्पण दे रहे हैं

-मेघसिंह “मेघ”
१७ मार्च २०१४

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