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होली है!!
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फागुन आया |
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फागुन आया गाँव में,
क्या-क्या हुए कमाल
आँखों से बातें हुईं, सुर्ख़ हुए हैं गाल
पुरवाई में प्रेम की, ऐसे निखरा रूप
मुखड़ा गोरी का लगे, ज्यों सर्दी की धूप
मौसम ने जादू किया, छलक उठे हैं रंग
गुलमोहर-सा खिल गया, गोरी का हर अंग
साँसों में खुशबू घुली, मादक हुई बयार
नैनों में होने लगी, सपनों की बौछार
दहके फूल पलाश के, दुख हो गए शहीद
आँखों में सपने खिले, ग़ायब हुई है नींद
देवमणि पांडेय
१७ मार्च २०१४ |
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