|
|
होली है!!
|
|
रंगपर्व में |
|
|
अब से
होली में शामिल हों, संग हमारे धरा-गगन
लकड़ी-खर-पतवारों के संग, विद्वेशों का करें दहन
रंगपर्व में इकरंग हों सब, हो यह भाव दिलों में भी
हृदयों की बगिया में महकें, अपनत्वों के सुखद सुमन
भूले-बिसरे रूठे- भटके- अवसादों में हैं जो भी
उन्हें लगा लें गले, और अब अखलाकों का चले चलन
है अवसर सद्भाव -प्रेम-ममता- व्यवहारों का ये तो
करें नया कुछ सकारात्मक, हो शीतलता हटे तपन
ठंडाई में प्यार-मोहब्बत, क्षमा - दया सहयोग घुले,
कर्तव्यों का चढ़े नशा, पुलकित हो जाये हर तन-मन
नहीं मने ऐसी होली अब से हो संकल्पित हम सब
जिससे गिले-दुश्मनी-कटुता, पनपे-फैले द्वेष-जलन
मेरे देश में आफत ही -आफत की, आँधी है भारी,
इकजुट यदि हो जायँ सभी, निश्चित हारेगा कपट-दमन
आवो जुटें- शपथ लें हम, इस बार मने होली ऐसी,
बीहड़- खार- पठार और, शमशान बना डालें मधुबन
पनप रहा आतंकवाद, औ' मूल्यों का हो रहा क्षरण
आस्तीन के साँपों को, अब कहें अलविदा- करें दफन
-रघुनाथ मिश्र
२५ मार्च २०१३ |
|
|
|