मुसीबत
हो गई इस फागुनी त्यौहार होली में
कि चारों ओर मंदी की, पड़ी है मार होली में
है-फीकी-चाय-की-प्याली,-भरी-यह-जेब
भी खाली
हैं खाली राशनों के अब, सभी भंडार होली में
जो-अम्मा-साथ-में-रहती,-तो-फिर-किस-बात-का-डर-था?
अकेली जान, कितने काम, सौ फरमान होली में
कभी मधुमेह हँसता है, कभी गठिया रुलाता है
बने कैसे पुआ, गुझिया सभी बेकार होली में
न खुशियों से भरे मुखड़े, न रिश्तों में वो गर्माहट
गले मिलना है मजबूरी कहाँ है प्यार होली में
हुई कायापलट फिटनेस की सबको है लगी चिंता
कि फैशन ने किये फीके, सभी पकवान होली में
उड़े जब रंग चेहरों के तो तन पर
रंग डालें क्यों
करे सुरसा सी महँगाई यों हाहाकार होली में
जली ज्यों होलिका तुम भी जला दो हर बुराई को
करो इंसानियत पर प्रेम की बौछार होली में
-पद्मा मिश्रा
२५ मार्च २०१३