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होली है!!
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कबिरा धाए
होली में |
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छोड़
लुकाठी ले पिचकारी कबिरा धाए होली में
सूरदास की काली कमली रँग-रँग जाए होली में
बूढ़ा बरगद करे भाँगड़ा, छुईमुई कैबरे करे
किसमिस-सोंठ-छुहारा फिरते फिर गदराए होली में
नर्तकियाँ सब राधा लगतीं, नर्तक सब लगते कान्हा
मदिरालय वृन्दावन लगते, जग बौराए होली में
धमाचौकड़ी मचा के लौटा गिरगिट संवत्सर बाँचे
रंग बदलना जिसे न आए गाल फुलाए होली में
नंगा नाच दिखाए बोले - बुरा न मानो होली है
भीतर का पशु मार कुलाँचे बाहर आए होली में
छम्मक-छम्मक वाणी नाचे, खुली भंड़ैती शब्द करे
छंद-बन्ध-अनुबंध फिर रहे पूँछ उठाए होली में
होली-रोली की तुकबंदी रुकती जाकर चोली पर
कविता के सँग करे ठिठोली 'नीरव' गाए होली में
-ओम नीरव
२५ मार्च २०१३ |
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