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होली है

 

सतरंगी बौछार

यह कैसी नेह मनुहार
गगन से रंगों की बौछार
आया होली का त्यौहार

सहे थे कितने पतझर रूखे
चुभा शिशिर का शीत
घना कुहासा घेरे अम्बर
रूठी जैसे प्रीत
ले आया सावन मनभावन
भीनी मदिर फुहार
मनाऊँ होली का त्यौहार

सरसों से लूँ पीत चुनरिया
टेसू से रंग लाल
केसर कलियाँ मेंहदी रच दें
कुमकुम बिंदिया भाल
अमलतास की पायल पहनूँ
माँग भरूँ कचनार
मनाऊँ होली का त्यौहार

आँगन द्वारे रंग रंगोली
मीत बना परिहास
अधर-अधर पे गीत फागुनी
नयनों में मधुमास
चितवन में यूँ हँस दूँ जैसे
खिलता हर सिंगार
मनाऊँ होली का त्यौहार

गाँव गली चौराहे घूमे
मस्तानों की टोली
पनघट बैठी सखियाँ करतीं
घूँघट ओट ठिठोली
दमक रहा माथे पर टीका
खनकी चूड़ी की झंकार
आया होली का त्यौहार

शशि पाधा
५ मार्च २०१२

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