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होली है!!

 

भिजवा दिया गुलाल

इंतजार के रंग में, गई बावरी डूब
होली पर इस बार भी, आये ना महबूब

सरहद से आया नहीं, होली पे क्यूँ लाल
भीगी आँखें रंग से, करती रहीं सवाल

मौक़ा था पर यार ने, डाला नहीं गुलाल
मुरझाये से ही रहे, मेरे दोनों गाल

कौन बजावे फाग पे, ढोल, नगाड़े, चंग
कहाँ किसी को चाव है, गायब हुई उमंग

गीली-गीली आँख से, करे शिकायत गाल
बैरी खुद आया नहीं, भिजवा दिया गुलाल

विजेंद्र शर्मा
१२ मार्च २०१२

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