होली है!!
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हो
ली हो ली सब करें |
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’हो ली’, ’हो ली’ सब करें, मरम न
जाने कोय।
क्या हो ली क्या ना हुई, मैं समझाऊँ तोय
हो ली पूजा हस्ति की, माया जी के राज।
हाथी पे परदे पड़े, बिगड़ गए सब काज
हो ली लूट-खसूट बहु, राजा के दरबार।
पहुँचे जेल तिहाड़ में, जुगत भई बेकार
हो ली बहु बिध भर्त्सना, हे चिद्दू म्हाराज।
नहीं नकारो सत्य को, अब तो आओ बाज
हो ली अन्ना की 'ख़लिश', जग में जय जयकार।
शायद उनको हो रही, अब गलती स्वीकार
महेश चंद्र गुप्ता ‘ख़लिश’
१२ मार्च २०१२ |
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