होली है!!
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ऐसी होली
खेलिये |
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रंगों के सँग घोलकर, कुछ,
टूटे-संवाद।
ऐसी होली खेलिए, बरसों आए याद
जाकर यूँ सब से मिलो, जैसे मिलते रंग।
केवल प्रियजन ही नहीं, दुश्मन भी हों दंग
तुमरे टच से, गाल ये, लाल हुये, सरताज।
बोलो तो रँग दूँ तुम्हें, इसी रंग से आज
सूखे रंगों से करो, सतरंगी संसार।
पानी की हर बूँद को, रखो सुरक्षित यार
धर्मेन्द्र कुमार ‘सज्जन’
१२ मार्च २०१२ |
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