होली है!!
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किससे होली
खेलिये |
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किस से होली खेलिए, मलिए किसे
गुलाल।
चहरे थे कुछ चाँद से डूब गए इस साल
नेताओं ने पी रखी, जाने कैसी भंग।
मुश्किल है पहचानना, सब चहरे बदरंग
योगी तो भोगी हुए, संसारी सब संत।
जिनकी कुटियों में रहे, पूरे बरस बसंत
कैसी थीं वो होलियाँ, कैसे थे अहसास।
ज़ख़्मी है अब आस्था, टूट गए विश्वास
अनवारेइस्लाम
१२ मार्च २०१२ |
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