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होली है

 

रंगी हूँ आजतक

गुलाबी से जाड़े के
तीसरे प्रहर का
होलिका दहन
भुनी
गेहूँ की बालियाँ
गुलाल सेलखड़ी की बौछारें
भीज जाना अंतस तक
अपनों के प्रेम में;
फिर
स्नेह और आशीर्वाद
से भीगा
सींझा मन लिये
शाम भर मिलना मिलाना...

रंगी हूँ आज तक
उन होलियों से

-भावना सक्सेना 
५ मार्च २०१२

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