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होली है

 

फगुनहटी बयार

फगुनहटी बयार
अब झूम - झूम गाएगी 
रंग और गुलाल की गठरी खुल जायेगी

महुआ ने
ओढ़ी श्वेत सितारों की शाल
दुल्हन सी लचके, बौराई अमवा की डाल
प्रकृति खोल बैठी है,
मधुशाला फागुन में
झूमती दिशाएँ पी, हाला भी फागुन में 
रंग से नहाये खड़ी सरसों,
सेमल, पलाश
फागुन के आवन की खबर फैल जाएगी

फगुनहटी बयार
अब झूम - झूम गाएगी 
रंग और गुलाल की गठरी खुल जायेगी

रश्मियाँ
प्रखर देंगी शिशिर को विदाई अब
भर देंगी जन जन के तन मन गरमाई अब
टिमकी मंजीरे संग
चंचल स्वर फाग के
पाती पछुआ भी ढोए राग - अनुराग के
प्रिय लौटें प्रवास से मन आस
देत होली है
बाहुपाश पाकर हर गाँठ चटक जाएगी 
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- अनिल कुमार मिश्र
५ मार्च २०१२

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