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होली है

 

तब रंग जमेगा होली का

तब रंग जमेगा होली का

जब मौसम में खुशहाली हो
गालों पर सचमुच लाली हो
और सच के आगे बढ़ने पर
जब दिल से बजती ताली हो
क्या करना चन्दन रोली का
तब रंग जमेगा होली का

जब कड़वाहट की बर्फ गले
दुश्मन भी बन कर मीत चले
और मन में बस सदभाव पले
चेहरे पर सच का रंग मले
हो मौसम हंसी ठिठोली का
तब रंग जमेगा होली का

जब मंहगाई की मार न हो
दुश्मन अपना बाज़ार न हो
और प्याज से रोटी खाने में
होरी धनिया लाचार न हो
जब सजे द्वार हर खोली का
तब रंग जमेगा होली का

होली है प्यार दुलार कहीं
होली मन की मनुहार कहीं
भावों के रंगों में भीगी
होली रस की बौछार कहीं
संगम खुशियों की टोली का
तब रंग जमेगा होली का

जब मन में टेसू खिलते हों
जूही के गेसू हिलते हों
जब रजनीगंधा महक उठे
बागों में कलरव गूँज उठे
मेहमां हंसों की टोली का
तब रंग जमेगा होली का

आनंद क्रांतिवर्धन
५ मार्च २०१२

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