केसर रंग रँगे आँगन गृह गृह के
टेसू के फूलों से पीले
भीतों पर रँग पड़े दिख रहे
चित्र छपे ज्यों सुंदर सुंदर
ऊँचे ढेर लगे काँसे की थालियों में
लाल हरे पीले गुलाल के
धूम मचाती होली आई
सखि डालें कलसी भर जल की
धार बहाएँ सिर से कटि तक
भीज गए बारीक वसन सब
जिनसे निकले गोरे तन की आभी हलकी सुंदरियों
के गोल बदन
लिपटे गुलाल से
ज्यों सूरज पर संध्या बादल
जोर जमा खींचे पिचकारी
मुरकी जाए नरम कलाई
छोड़ फुहारें रँग सब डालें बजे चूड़ियाँ
फिसले साड़ी
मसल गए रंग
मसल गए तन
मसल गई अब मूठी गोरी
किरण उतर कर नभ से आई
आज खेलने को ज्यों होरी
उड़ आया मदभरा समीरण
उड़े हरे पीले गुलाल संग
केसर रंग रँगे हैं आँगन
टेसू के फूलों से पीले
२१ मार्च २०११ |