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फागुन में नीके लगें, छींटें अरू बौछार
सुख देने फिर आ गया, होली का त्यौहार
शीत विदा होने लगा, चली बसन्त बयार
प्यार बाँटने आ गया, होली का त्यौहार
पाना चाहो मान तो, करो मधुर व्यवहार
सीख सिखाता है यही, होली का त्यौहार
रंगों के इस पर्व का, यह ही है उपहार
मेल कराने आ गया, होली का त्यौहार
भंग न डालो रंग में, वृथा न ठानो रार
भेद-भाव को मेंटता, होली का त्यौहारतन-मन
को निर्मल करे, रंग-बिरंगी धार
लाया नव-उल्लास को, होली का त्यौहार
भंग न डालो रंग में, वृथा न ठानो रार
देता है सन्देश यह, होली का त्यौहार
छोटी-मोटी बात पर, मत करना तकरार
हँसी-ठिठोली से भरा, होली का त्यौहार
सरस्वती माँ की रहे, सब पर कृपा अपार
हास्य-व्यंग्य अनुरक्त हो, होली का त्यौहार
रूपचंद्र शास्त्री मयंक
१४ मार्च २०११ |