होली है!!
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कैसे खेलूँ
फाग |
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गुल तितली से यों कहे, कैसे खेलूँ फाग
भ्रमरों ने की ज्यादती, लूटा सभी पराग
हीरा पन्ना दिल हुआ, तन जैसे पुखराज
नैना नीलम दे रहे, नवरतनी अंदाज
देख रूप उनका हुआ, मैं होली पर दंग
चेतन से मैं जड़ हुआ, मन में बजी मृदंग
तट ने पूछा दूर से, टापू क्या है बात
जातीं लहरें दे गयी, चुम्बन की सौगात
काज़ल बोला आँख से, तुम हो पानीदार
मेरी संगत कर बनो, तीखी कुटिल कटार
गली गरारे गोरियाँ, नहीं गोप नहिं फाग
गीतों में झरता नहीं, पहले सा अनुराग
कृतिकार की लेखनी, काव्यलोक का मंच
गीत ग़ज़ल ले दौड़ते, शब्दों के सरपंच
किशोर पारीक किशोर
१४ मार्च २०११ |
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