मातृभाषा
के प्रति
हिंदी में
उर्दू, बृज, अवधी के कवि का रंग समाया हिन्दी में
तुलसी, मीरा ने भक्ति का गीत सुनाया हिन्दी में
कन्नड, बंगला गुजराती हो, सब को बहना सी प्यारी
विविध सुरों में समरसता का जादू भाया हिन्दी में
बालक की तुतलाहट, माँ की लोरी थी किस भाषा में
बड़बड़ गीत से खेले थे उनको भी गाया हिन्दी में
गीतों की झंकार, दिलों का प्यार धड़कता है किस में
बोलिवुड का चमत्कार इसलिये तो छाया हिन्दी में
आजादी के लिये कौनसी भाषा बोली बापू ने
अंग्रेजों का जुल्म समझ में सबको आया हिन्दी में
चक्कर खाये रामू ने ऑफ़िस में गिटपिट सुन कर
मन्त्री तक को आसमान से नीचे लाया हिन्दी में
-हरिहर झा
१२ सितंबर २०११ |
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