मृदु कंठ
गाती भारती
मृदु कंठ गाती भारती
हिन्दी तुम्हारी आरती
शीर्ष तुम जग में बनो
सर्वत्र भारत - भारती॥
मिटे न
हिन्दी अपने दिल से,
मिटे न हिन्दोस्तान ।
बोलें, बरतें अपनी भाषा,
लौटाएँ इसका सम्मान ॥
वह दिन कभी तो आएगा
इतिहास बदला जाएगा
ऊँचा उठा कर शीष भारत
हिन्दी की महिमा गाएगा॥
मेल-मिलाप की भाषा हिन्दी
गाँव-समाज की भाषा हिन्दी
आओ नव निर्माण करें ,
हो राज-काज की भाषा हिन्दी॥
इधर-उधर ना डोलिए
हिन्दी में पर तोलिए
भाव बढ़े, सम्मान बढ़े
अपनी भाषा बोलिए॥
आशुतोष कुमार झा
१२ सितंबर २०११ |