मातृभाषा
के प्रति
जागो
भारतवासियों !
सावधान मेरे मित्रो, मेरे भारतवासियो,
अभी भी समय है , संभल जाओ समय रहते हुये,
नहीं तो अगले पचास ... सौ साल में,
हिन्दी, वैसे ही डूब जायगी
भारतबर्ष में ,
जैसे डूबी त्रिनिदाद मैं ।
यदि इसी तरह हिन्दी की कागज की नाव,
तैरती रही अँग्रेजी के तालाब में,
और सोखती रही धीरे धीरे,
अँग्रेजी का पानी,
एक दिन ऐसा आयेगा,
नाव हो जायेगी पूरी गीली,
और डूब जायेगी,
अँग्रेजी के संसार में ।
फिर दोबारा हिन्दी की नाव बनाना,
न होगा इतना आसान,
बस हाथ मलते रह जाओगे,
क्रपया मेरी बात मान ।
आज भारतीय भेजना चाहते हैं,
बच्चों को अँग्रेजी स्कूलों में,
खुद माँ बाप, अपनी शान समझते हैं,
अँग्रेजी बोलने में,
मैं अँग्रेजी के खिलाफ नहीं,
किसी भी भाषा का ज्ञान,
बुरी बात नहीं ।
लेकिन डरती हूँ , मैं मन ही मन में,
भविष्य के हिंदुस्तान में,
ऐसी स्थिति न हो जाये हिन्दी की,
जो हो गयी है, आज त्रिनिदाद में ।
यह लोग कोशिश कर रहे हैं बहुत
फिर से हिन्दी के विकास की,
पर सफलता अभी है कोसों दूर
प्रयास अभी भी है जारी ।
जल्दी जागो , जागो जल्दी
देर बहुत न हो जाये ।
सावधान मेरे मित्रो, मेरे हिन्दी प्रेमियो,
समय अभी भी है काफी, संभल अभी भी जाओ तुम ।
सीखे, दूसरे की गल्ती से जो,
इंसान वही होता समझदार,
खुद पैरों पर अपने,
मत कुल्हाड़ी मारो यार ।
-आशा मोर
१२ सितंबर २०११ |
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