मातृभाषा के प्रति


अपनी हिंदी

अपनी हिंदी
एक छोटी या बड़ी
इंद्रधनुषी बिंदी है।

माथे पर लगकर यह
सौभाग्य चिह्न बन जाती है,
हाथों में रोटी का ज़रिया-
भले ही एक रुपया,
और पैरों तले
घूमता हुआ पहिया
अगरतला में धरमसाला,
केदार से कन्याकुमारी पहुँचता
अपनी हिंदी
एक छोटी या बड़ी
इंद्रधनुषी बिंदी है।

-अजित कुमार
16 सितंबर 2006

 

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