शीर्ष- पद हिंदी को ही सौंपो

किसने कहा
पढ़ो मत इंगलिश
पर जबरन मत थोपो!

मैकाले के मानस-पुत्रो
कान खोल कर सुन लो।
हिंदी के बन प्रबल विरोधी
कितने जाले बुन लो।

बढ़ते कदम
न रुक पाएँगे
जितने कंटक रोपो!

हिंदी हिन्द देश की भाषा
जन-जन को प्यारी है।
दिल से दिल को करे प्रज्ज्वलित
ऐसी चिंगारी है।

केवल तर्क-
कुतर्की करके
इसके सिर मत कोपो!

राष्ट्र-प्रेम से ओत-प्रोत
जन-गण का मान बढ़ाती।
अन्य सहोदर भाषाओं को
बढ़-चढ़ कर अपनाती।

क्षेत्रीयता
के वैमनस्य का
छुरा न इसके घोंपो!

किसने कहा सिर्फ़ अंग्रेज़ी
उन्नत पथ दिखलाती
सच पूछो तो विश्वपटल पर
आत्मग्लानि कराती

जिसकी है
हक़दार शीर्ष-पद
हिंदी को ही सौंपो!

किसने कहा
पढ़ो मत इंग्लिश
पर जबरन मत थोपो!

- डॉ रामेश्वर प्रसाद सारस्वत 
१ सितंबर २०१५

 

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