सच कहूँ तो...
सच कहूँ तो...
सभ्यता की सुष्मिता, संवेदनाएँ
और, उनके बीच
पावन
देश का है पर्व हिंदी
हिंद की पहचान हिंदी
शब्दिता की शान हिंदी
सच कहूँ तो...
कृत्य की परिकल्पना, अभिव्यंजनाएँ
और, उनके बीच
भूषित
भाल का है गर्व हिंदी
रूप हिंदी, धूप हिंदी
हर नया प्रारूप हिंदी
सच कहूँ तो...
धरणि से आकाश तक, अवधारणाएँ
और, उनके बीच
संस्कृत
चेतना गंधर्व हिंदी
गद्य-पद्य, विचार- मन्थन
स्वर, सुमंगल-भाव, चिन्तन
सच कहूँ तो...
शब्द के आकार की संभावनाएँ
और, उनके बीच में
ऋग्
साम-यजुर-अथर्व हिंदी
- निर्मल शुक्ल
१ सितंबर २०१५
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