नित्य नव्य हिंदी


सरल सरस सहज सुघढ़
महल भव्य हिंदी !
पावनी पुरातन चिर
दिव्य लभ्य हिंदी !

वर्ण -वर्ण,शब्द- शब्द
काव्य-सिन्धु ठहरे !
कोश भावनाओं के
अर्थ भरे गहरे !
साध लक्ष्य,विजय-विश्व
मंतव्य हिंदी !!

रमण भ्रमण हृदय-हृदय
संस्कार पूरित !
भर विवेक मानस में
ब्रह्म ज्ञान पूजित !
औषधि है ओम रूप
देव-द्रव्य हिंदी !!

साम्यता समाहित है
लिपि बोलने में !
वस्तुनिष्ठ प्रासंगिक
भेद खोलने में !
गर्व सर्व भारत का
नित्य नव्य हिंदी !!

- भावना तिवारी
१ सितंबर २०१५

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter