रखेंगे हम हिन्दी का मान

पहले गूँथी माला
वीर गाथाओं की
फिर भक्ति की डोर से
बाँधा हिंदुस्तान को।

कभी बन कर पतवार
गुलामी के सागर की
कभी बनकर आधार
गाँधी की लाठी की।
करुणामयी हो उठी
कभी वो
भारत माता की
पीड़ा से।
अलख जगाया कभी
अपने गीतों की
वीणा से।

उत्तर दक्षिण
पूरब पश्चिम को दिया
आजादी का नारा।
बोल उठा फिर
बच्चा बच्चा
हिंदुस्तान हमारा है।
एक हुये हम
हमसे डरकर
भाग गये फिरंगी।
बाँधा जिसने
एकसूत्र में वो थी
हमारी हिंदी।
ताकत दी
लड़ने की जिसने
वो थी
हमारी हिंदी।

आजादी के बाद और
फैला है इसका संसार
तभी तो विश्व बाज़ार भी
कर रहा है इसकी
जय जयकार।
आओ शपथ उठा कर बोलें
रखेंगे हम हिंदी
का मान।

- उर्मिला शुक्ल     
१ सितंबर २०१५

 

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