हिन्दी भाषा सूर्य है, उपभाषा है धूप
अंग्रेजी करती रही, जिसका रूप कुरूप
जिसका रूप कुरूप, रोज ही धौंस दिखाती
भारत ही वह देश, जहाँ वह पैर जमाती
‘सहयोगी’की सोच, भारती की यह बिन्दी
बहुत विश्व के लोग, बोलते प्यारी हिन्दी
सारे देशों में चला, हिन्दी का अभियान
राष्ट्रसंघ में भी हुआ, हिन्दी का गुणगान
हिन्दी का गुणगान, बोलते बच्चे-बच्चे
जो होते भगवान, बहूत ही मन के सच्चे
‘सहयोगी’की सोच, रोज गुण गाते तारे
हिन्दी का सम्मान, देश करते हैं सारे
भाषा केवल एक हो, भारत की पहचान
संसद में जाकर कहे, मतदाता भगवान
मतदाता भगवान, उसी की बात चलेगी
होगा नहीं प्रयास, निराशा हाथ लगेगी
‘सहयागी’की सोच, एक मतदाता आशा
जो बोलेगा आज, मिलेगी राजित भाषा
भारत अपना एक है, बोली किन्तु अनेक
माध्यम है सम्पर्क की, अपनी हिन्दी एक
अपनी हिन्दी एक, स्नेह की बहती गंगा
उपभाषा के शब्द, बनाएँ इसको चंगा
‘सहयोगी’की सोच, न होगी हिन्दी आरत
शब्दकोष भंडार, सजाये सुन्दर भारत