परचम हिन्दी भाषा का


लहरायेंगे विश्व गगन में, परचम हिन्दी भाषा का
हर बाधा को पार करेगा, माध्यम हिन्दी भाषा का

सात सुरों में झंकृत होती, वेदों की पावन वाणी
ज्ञान वही आधार बना सुन्दरतम हिन्दी भाषा का

आज सभी भारतवासी अपने दिल से यह प्रश्न करें
क्यों साकार न कर पाये, सपना हम हिन्दी भाषा का

आजादी को पूरा तब समझें सारे भारतवासी
हो सम्मान सभी कार्यों में, हरदम हिन्दी भाषा का

जैसे नभ से पूर्ण जगत को रवि रौशन कर देता है
वैसा ही है तेज प्रखरतम, उत्तम हिन्दी भाषा का

अपनी माँ की भाषा की हम अनदेखी बिल्कुल न करें
मान करें भारत माँ की, सर्वोतम हिन्दी भाषा का

भाव स्वदेशी का हर दिल में अँगड़ाई लेता हो जब
दिखलाना है पूरे जग को, दमखम हिन्दी भाषा का

- सुरेन्द्रपाल वैद्य     
१ सितंबर २०१५

 

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