हिन्दी प्रातः श्लोक है
हिंदी प्रातः श्लोक है, दोपहरी में गीत
संध्या वंदन-प्रार्थना, रात्रि प्रिया की प्रीत
हम कैसे नर जो रहे, निज भाषा को भूल
पशु-पक्षी तक बोलते, अपनी भाषा मीत
सफल देश पढ़-पढ़ाते, निज भाषा में पाठ
हम निज भाषा भूलते, कैसी अजब अनीत
देशवासियों से कहें, ओबामा सच बात
बिन हिंदी उन्नति हुई, सचमुच कठिन प्रतीत
हिंदी का ध्वज थामकर, जय भारत की बोल
लानत उन पर दास जो, अंग्रेज़ी के क्रीत
हम स्वतंत्र फिर क्यों नहीं, निज भाषा पर गर्व
करे 'सलिल', क्यों हम हुए, अंग्रेजी से भीत?
पर भाषा मेहमान है, सौंप न तू घर-द्वार
निज भाषा गृह स्वामिनी, अपनाकर पा जीत
- संजीव वर्मा सलिल
१ सितंबर २०१५
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