जनगण-मन की अभिलाषा है
हिंदी भावी जगभाषा है
शत-शत रूप देश में प्रचलित
बोल हो रहा जन-जन प्रमुदित
ईर्ष्या, डाह, बैर मत बोलो
गर्व सहित निर्भय
हो बोलो ।
हिंद और
हिंदी की जय हो।
ध्वनि विज्ञान समाहित इसमें
जन-अनुभूति प्रवाहित इसमें
श्रुति-स्मृति की गहे विरासत
अलंकार, रस, छंद, सुभाषित।
नेह-प्रेम का अमृत घोलो।
शब्द-शक्तिमय
वाक् अजय हो।
हिंद और
हिंदी की जय हो
शब्द-सम्पदा तत्सम-तद्भव
भाव-व्यंजना अद्भुत-अभिनव
कारक-कर्तामय जनवाणी
कर्म-क्रिया कर हो कल्याणी
जो भी बोलो पहले तौलो
जगवाणी बोलो
रसमय हो
हिंद और
हिंदी की जय हो।